मुस्कानें

ये मुस्कानें किसी भी साधु के वैराग्य पर अनुराग छिड़क सकती हैं। मैं दावे के साथ कह सकता हूँ अगर राहुल जागकर मुस्कुराते हुए पिता को रोकते तो आज सिद्धार्थ…

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आवाज़ें

मैं बोना चाहता हूं आवाज़ें अपनी हर कविता में आवाज़ें जो सिर्फ अपनी सुनें जिन पर बस न चले किसी सांड जैसे शोर का जो खड़ी रहें मेरे साथ मेरे…

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