माई

नज़र भर के फासले पर रखती है सब पर नज़र द्वार से ही टाल देती है आती सब बलाएँ लीपती है आँगन में सुखदा नम माटी होती है परेशान जरा…

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चांद का जीना

भले ही अपने किसी प्रिय को इतराने या मन रखने के लिए चांद की उपमा दे देना वो अलग बात है, लेकिन आसान नहीं है चांद बनकर जीना वो भी…

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ग़ज़ल

इश्क़ में बे-करारी इस कदर रही है आग जितनी इधर उतनी उधर रही है । कोचिंग के बाद चाय का वादा था हँसते हँसते अब वो मुकर रही है ।…

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