माँ

खुद भूखे रहकर खिलाया है मुझे,रात भर जागकर सुलाया है मुझे,चिथड़ों में लिपटी रही खुद,पर कपड़े सीं कर पहनाया है मुझे,और लोग कहते हैं मेरी मां ने कुछ नहीं सिखाया…

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कारवां ए ज़िन्दगी

जिसे वो जान कहता था उसकी शादी होने वाली थी, उसने 2 दिन से खाना नहीं खाया था, वो रोज घर से दूर जाकर एक तालाब के किनारे अपनी प्रेमिका…

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रबिन्द्रनाथ टैगोर

मेरा शीश नवा दो अपनी, चरण-धूल के तल में,देव! डुबा दो अहंकार सब, मेरे आँसू-जल में,अपने को गौरव देने को, अपमानित करता अपने को,घेर स्वयं को घूम-घूम कर, मरता हूं…

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