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माँ

खुद भूखे रहकर खिलाया है मुझे,
रात भर जागकर सुलाया है मुझे,
चिथड़ों में लिपटी रही खुद,
पर कपड़े सीं कर पहनाया है मुझे,
और लोग कहते हैं मेरी मां ने कुछ नहीं सिखाया मुझे।
खुद करती रही सारा दिन काम,
और आराम देकर रानी बनाया है मुझे,
ग़म सहकर भी मुस्काराती दिखाई दी है मुझे,
ताने सहकर भी सबकी इज्जत करना बताया है मुझे,
और लोग कहते हैं कि मेरी मां ने कुछ नहीं सिखाया है मुझे।।
जब भी पड़ी ज़रूरत मुझे, एक सहेली बनकर समझाया है मुझे
एक ही रूप में रहकर, जाने कितने रिश्ते निभाकर दिखाए हैं मुझे
और सब कहते हैं मेरी मां ने कुछ नहीं सिखाया है मुझे।
ज़िंदगी में बहुत सी मुश्किलें हैं लेकिन,
उनका डटकर मुक़ाबला करना बताया है मुझे
अकेले रहकर भी हिम्मत न हारने का सबक उसी ने सिखाया है मुझे
और सब कहते हैं मेरी मां ने कुछ नहीं सिखाया मुझे।
भगवान नहीं होता हर जगह, पर मां के रूप में उसने खुद से मिलवाया है मुझे
हंसकर त्याग करने के गुण मां से ही आएं हैं मुझे
और सब कहते हैं मेरी मां ने कुछ नहीं सिखाया है मुझे।

पूजा श्रीवास्तव