दोषी कौन

आज फिर मुझ पर ये आरोप लगा है,मैंने फिर किसी मनुष्य का शिकार किया है,मैं तो किसी जानवर का शिकार करने था तैयार,इतने में वो मनुष्य आ गया,जंगल से फल-फूल-लकड़ी…

Continue Readingदोषी कौन

आधी रात के ख्वाब

क्या तुमने सुना है सन्नाटे वाला शोर,हां सन्नाटे वाला शोर,जो रातों में होता है,झींगुरों की बातों में होता हैजो महसूस होता है गहरी सांसो में ,सूनी पड़ी बाहों में ,…

Continue Readingआधी रात के ख्वाब

चार लाइनें-अमित गुप्ता

कभी अपनी ख्वाहिशें भी जताओ तो बेहतर हैउसकी हर हां में हां न मिलाओ तो बेहतर है.. कौन जाने कब तुम्हारा मज़हब बदल जाए..यूं हर किसी को खुदा न बनाओ…

Continue Readingचार लाइनें-अमित गुप्ता

End of content

No more pages to load