कमरा और ज़िन्दगी

नींद के इंतजार में छत को तकते हुए उसकी ये रात भी पिछली कई रातों की तरह ऐसे ही बीत जाने वाली थी। ऐसा होता भी क्यों न ! उसने…

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बसंत

आना…जैसे आता है बसंतपेड़ों पर 'खिज़ा' के बादआते हैं माहआषाढ़, सावन, भादो ऋतुएँ--मसलनवर्षा, शरद, हेमंत, शिशिर आना…जैसे आता हैआम पर बौरनीम पर निबोलीगेंहू में दूध, दरिया में रवानी आना…किसी झिलमिल…

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विदा होती बेटी

विदा होती बेटी कीनानी ने कहा ,अब वही तुम्हारा घर हैसब का सम्मान करनाकह कर उसने अपनीआंखें पोंछ लीं ।। विदा होती बेटी कीमां ने कहा ,अब वही तुम्हारा घर…

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