बसंत

आना…जैसे आता है बसंतपेड़ों पर 'खिज़ा' के बादआते हैं माहआषाढ़, सावन, भादो ऋतुएँ--मसलनवर्षा, शरद, हेमंत, शिशिर आना…जैसे आता हैआम पर बौरनीम पर निबोलीगेंहू में दूध, दरिया में रवानी आना…किसी झिलमिल…

Continue Readingबसंत

विदा होती बेटी

विदा होती बेटी कीनानी ने कहा ,अब वही तुम्हारा घर हैसब का सम्मान करनाकह कर उसने अपनीआंखें पोंछ लीं ।। विदा होती बेटी कीमां ने कहा ,अब वही तुम्हारा घर…

Continue Readingविदा होती बेटी

माँ

खुद भूखे रहकर खिलाया है मुझे,रात भर जागकर सुलाया है मुझे,चिथड़ों में लिपटी रही खुद,पर कपड़े सीं कर पहनाया है मुझे,और लोग कहते हैं मेरी मां ने कुछ नहीं सिखाया…

Continue Readingमाँ

End of content

No more pages to load