कवि

मेरे मरने के बाद मुझे ढूंढना मेरी कविताओं में मुझे पहचानना मेरे शब्दों के बीच के सन्नाटे और चिल्लाहटों में शब्दों के पीछे छिपे अर्थों और उनके बीच झांकते एहसासों…

Continue Readingकवि

आँखें

जैसे कोई ख़्वाब हो सच पढ़कर किसी कहानी में जैसे कश्ती झूम रही हो नदियों के बहते पानी में जैसे जन्नत पड़ी हुई हो बेरंगी बंजर सहरा में जैसे मन…

Continue Readingआँखें

उस पार

बड़ी झील के उस पार, बसते हैं कहीं शहर रहते हैं कई लोग ज़ारी हैं जिनकी ज़िंदगी से जद्दोजहद बड़ी झील के उस पार, टूटते हैं अनगिनत सपनें बिखरते हैं…

Continue Readingउस पार

End of content

No more pages to load