क्यूँ ढूंढे

क्यूँ ढूंढे हम काम नया, क्यूँ नई जिंदगी ना ढूंढे, क्यूँ सीखे तहज़ीब नई, अंदाज़ नया क्यूँ ना ढूंढे । कट जाए गर भरी दुपहरी, आराम से, तो क्या बिगड़ेगा…

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आज़ादी

यूँ तो हम सब आज़ाद हैं, क्या आज़ादी यह सच्ची हैं । सच्ची शायद बातों में होगी, हक़ीक़त कुछ और ही हैं सड़को पे तो देखा होगा, किस तरह हम…

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कुछ इस तरह से

कुछ इस तरह से ये जिंदगी के दो पल गुजार रहा हूँ मैं,कि हर एक पल में तेरे चेहरे को निहार रहा हूँ मैं। तेरे चेहरे की तब्बसुम को देखकर…

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