ग़ज़ल

वो मेरा जीवन है बाबा उसके बिन उलझन है बाबा जिस दिन से दूर गई है थमी हुई धड़कन है बाबा जिस्म हो गया ख़ाली जैसे रूह हुई विरहन है…

Continue Readingग़ज़ल

इंतज़ाम

दिनभर की मेहनत से थके शरीर रात में खाने के सामने या बिस्तर पर अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहे थे, परन्तु कुछ जीवन अभी भी भटक ही रहे थे ।…

Continue Readingइंतज़ाम

तुम्हारा सुकून

जब तुम होती हो परेशान या आता है तुम्हें मुझ पर प्यार तब , तुम रख देती हो अपना सिर मेरे कंधों पर और हो जाती हो बेफिक्र मुझे नही…

Continue Readingतुम्हारा सुकून

End of content

No more pages to load