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तुम्हारा सुकून

जब तुम
होती हो परेशान
या आता है तुम्हें मुझ पर
प्यार

तब ,
तुम रख देती हो
अपना सिर
मेरे कंधों पर

और हो जाती हो
बेफिक्र
मुझे नही पता
ये क्या है !

पर शायद ये वही
एहसास है
जो तुम्हें और मुझे
जोड़ता है

मेरा कंधा ही तो
शायद तुम्हें देता है सुकून
और तुम्हारा सिर
यकीन मुझे देता है जुनून

-सत्यम सोलंकी