औकात

वो क्या था? ..अचानक से हमारे मन में ये सवाल कौंधा। एक धीमी सी सरसराहट होती मानो कोई धीरे-धीरे हमारे करीब आ रहा हो। मन में अजीब सी बेचैनी और…

Continue Readingऔकात

ख्वाहिशें

कैसा होता जो वीरान कर अपने तमाम शहर हम वापस लौट जाते फिर जंगल को नजर भर हरियाली होती सांस भर हवा भूख भर रोटी और आत्मा भर संगीत कैसा…

Continue Readingख्वाहिशें

तुम्हारा साथ

तुम्हारा साथ पेड़ की डाल पर झूल रहे उस तूंबीनुमा घोंसले जैसा है जिसे गूंथा है बया ने बड़ी चाह से लहराती-इठलाती फ़सल जैसा है जिसे बोया है किसान ने…

Continue Readingतुम्हारा साथ

End of content

No more pages to load