हिंदी मन हिंदी जीवन

मैंने आंखे खोली जबसे देखा सुना समझा जाना हिंदी की ममता ने मुझको अपने बच्चे सा है माना उसके आलिंगन में मै सोया जगा हँसा खेला शब्द आ आ कर…

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हुनर

बात ये नहीं कि मुझे पर नहीं हैंअसल में उड़ पाने का हुनर नहीं है।। तुम्हें मलाल ये कि मंज़िल नहीं मिलीहमें तो लौट आने को घर नहीं है। गम,…

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सीरत

सोहबत व सीरत अच्छी, फितरत बेईमान क्यों हैंचेहरा तो है पहचाना, फिर नज़र अनजान क्यों हैं मुक़र्रर है हश्र-ए-ज़मी, हर किसी को तो फिरकहते आदम को, यहाँ मेहमान क्यों हैं…

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