ठंडी चाय और तुम

सुनो, चाय ठंडी हो रही है..तुम तो ठंडी ही पीती हो न!तुम तो ग़रम पीते हो न..तुम्हें जो अच्छा लगता है वो हर चीज़ छूकर देखना चाहता हूं.मुझे तो तुम…

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प्रिय मिलन

ठहरती ही नहीं वहआती हैधीरे से कान में कहचली जाती हैउसका कहा सोचनाऔर देखनारोमांचित करता हैकर देता है तरलबहती देहअठखेलियां करतीकराती मिलनप्रिय से विनोद गुर्जर

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