नजर

यूँ तो वो नजर से नजर मिला के देखता हैंएक पल जमीन ,एक पल मुझे देखता हैंअभी उसे समझने में वक्त लगेगा किफलां उसे किस नजर से देखता हैंमैं ऐसे…

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पुकारता शहर

इतना आसान नहीं होता यूं शहर छोड़नाधड़कने बेतहाशा धड़कती हैंसिसकियां आंखों में झलकती हैंरास्ते बुलाते से नजर आते हैंदोस्तों के बोल रुलाते हैंयूं शहर छोड़ना आसान नहीं होतामन तो कहता…

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सोच सेगमेंट-आकाश सिकरवार

मुफलिसी के दिन संघर्ष में ही सही,पर कटते जरूर हैं,आकाश में बादल कितने भी सहीपर छंटते जरूर हैं,अपने जफ़र पर इतना ना इतरा ए जिंदगीजमीं पर रहकर आसमान में उड़ने…

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