You are currently viewing नजर

नजर

यूँ तो वो नजर से नजर मिला के देखता हैं
एक पल जमीन ,एक पल मुझे देखता हैं
अभी उसे समझने में वक्त लगेगा कि
फलां उसे किस नजर से देखता हैं
मैं ऐसे शहर मे रहता हूँ जहाँ इंसा
तलाश ऐ सुकून में समंदर की लहरे देखता हैं
दबा राज क्यों उजागर कर दिया ‘गुर्जर’
ये जमाना अब तुझे हैरत से देखता हैं

-रोहित गुर्जर