“तुम्हारा जाना”

तुम्हारा जाना,⁣जैसे तोड़ गया,किसी बांध को। उत्पाती लहरों सी,⁣अब मैं काटती जा रही हूंँ, किनारों को ।⁣ ⁣उच्छृंखल नव युवती सी,⁣लांघती जा रही हूंँ,निर्मूल्य मापदंडों को।⁣ ⁣किसी नटखट शिशु सी,⁣मैं…

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महफूज़

बाहर नहीं हैं महफ़ूज़उन्हें घर में भी डर सताता हैरात के अंधेरों में दिल उनकासहम सा जाता हैदिन के उजालों में भी मगरखौफ कहां कम हो पाता हैन गिरने से,…

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चलो शुक्र है

चलो शुक्र है!अबदिवाली पर लोग भर-भर के घर नहीं जाएंगे, आप ख़ुद को किसी मेट्रो स्टेशन परखचाखच भीड़ में तन्हा खड़ा नहीं पाएंगे अब स्टेशन पर हर तरफ़ पैर रखने…

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