मन करता है मेरा

मन करता है मेरा,तुम्हारे संग असंभव स्थानों पर दीप जलाने का,आसमान और पृथ्वी के मिलन उस क्षितिज को देखने का,हर शाम हर सुबह तेरे साथ जागने का,मन करता है मेरा।तेरे…

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सिर्फ तुम

आज ज़िक्र करती हूं मैं मेरे खत में..वो यादें वो शामें …जिनमें तेरे छत पर बैठे हम,हमारी बातें, वो ख़ुशनुमा रातें,हाथों में हाथ तुम्हारा साथ औरदूर से आती अज़ान की…

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मंजिल ही एक ठिकाना है

पग डगमग हो जाए लेकिनपथ पर चलते ही जाना हैथक चुके हुए कदमों से कहोमंजिल ही एक ठिकाना है। माँ और बताओ कितने कोसराहों से गुज़रते जाना हैपड़ गए हैं…

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