श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

ऐसो पूत देवकी जायो। चारों भुजा चार आयुध धरि, कंस निकंदन आयो ॥१॥ भरि भादों अधरात अष्टमी, देवकी कंत जगायो। देख्यो मुख वसुदेव कुंवर को, फूल्यो अंग न समायो॥२॥ अब…

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प्यारे कवि जी

आते नहीं है बाज़ कविता लिखने से हमारे प्यारे कवि जी कापी,कलम ,किताब, सूट्टे के साथ हमारे न्यारे कवि जी देवतुल्य होता है जिनका दुनिया में मान सम्मान, छंद कविता…

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ग़ज़ल

आग लगे तो है सदाक़त,पानी चाहिए। लेकिन पानी को फिर आग,बुझानी चाहिए।। तयशुदा है मर्ग मगर ये हसरत देखिये। हर किसी को जीस्त जावेदानी चाहिए।। अब किसी सीने में कोई…

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