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प्यारे कवि जी

आते नहीं है बाज़ कविता लिखने से हमारे प्यारे कवि जी
कापी,कलम ,किताब, सूट्टे के साथ हमारे न्यारे कवि जी

देवतुल्य होता है जिनका दुनिया में मान सम्मान,
छंद कविता गजले लिख लिख करते सबका गुणगान
हर टूटे बिखरे रिश्ते को वो शब्दों से पिरोया करते हैं
हाँ लेकिन वो घंटेभर किसी सुंदरी की याद में रोया करते हैं

उनके अधरों पर रहता है कोई सुरीला विरह का गान जी

आते नहीं है बाज़ कविता लिखने से हमारे प्यारे कवि जी
कापी,कलम ,किताब, सूट्टे के साथ हमारे न्यारे कवि जी

रोका था काकी ने उनको जब निकले थे बीए की पहली क्लास पढ़ने
साहिर,अमृता,जयंशकर या फिर दिनकर गालिब को पढ़ने
कौन जानता था लेकिन कि वो खुद ही कवि, रचियता हो जाएंगे
तुलसी के मानस की चौपाई से शब्द चुरा चुरा कविता रचायेंगे

घर वाले कहते हैं सबसे कविता लिखना है बहुत बड़ा रोग जी

आते नहीं है बाज़ कविता लिखने से हमारे प्यारे कवि जी
कापी,कलम ,किताब, सूट्टे के साथ हमारे न्यारे कवि जी |

– कार्तिक सागर समाधिया