नज़्म

किसी झगड़े से बस इतने ज़रा से फासले पर अगर अब भी हमारी दोस्ती क़ायम है तो आओ मुबारकबाद दें इक दूसरे को मगर इक बात समझा दूं मैं तुमको…

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जोगन

सूरज पे ग़ज़लें कहती है चंदा पे गीत बनाती है खुद भटकी राहों में रहती दुनिया को राह दिखाती है इक जोगन कलम चलाती है वो जोगन कलम चलाती है…

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आदि बलात्कारी

अभी -अभी मैं एक नदी से मिलकर आ रहा हूँ उसने मुझे पवित्र किया मैंने उसे गन्दा पर न उसे घमण्ड हुआ न मुझे मलाल क्योंकि पवित्र करना उसका स्वभाव…

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