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आदि बलात्कारी

अभी -अभी मैं एक नदी
से मिलकर आ रहा हूँ
उसने मुझे पवित्र किया
मैंने उसे गन्दा
पर न उसे घमण्ड हुआ
न मुझे मलाल
क्योंकि पवित्र करना
उसका स्वभाव है
और गन्दा करना मेरा
क्योंकि मैं मनुष्य हूँ
प्रकृति का आदि बलात्कारी।

आदम का दिया हुआ
मनुष्य को प्रथम उपहार
बलात्कार ही है
मुझे पता है प्रकृति अपने
बलात्कार का बदला लेगी
पर किसी की सहायता से नहीं
क्योंकि वह सदा से एक सहृदय किन्तु
सशक्त स्त्री रही है।

क्योंकि शांत सहृदय स्त्रियां
ज्वालामुखी होती हैं
वे अभी सुसुप्तावस्था में हैं
बलात्कारियों को प्रकृति से बचने का
एक मात्र उपाय यह है कि
वे उससे विवाह कर लें।

कुशल कौशल सिंह