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नज़्म

किसी झगड़े से बस इतने ज़रा से फासले पर
अगर अब भी हमारी दोस्ती क़ायम है
तो आओ मुबारकबाद दें इक दूसरे को
मगर इक बात समझा दूं मैं तुमको
अगर हम में कभी झगड़ा हुआ भी
तो मै उस दुश्मनी का लुत्फ़ तो
लेने नहीं दूंगा तुम्हें हरगिज़
वो जिसकी चाह हर झगड़े की
ज़िम्मेदार होती है
मेरी नज़रों में झगड़े का
तसव्वुर कुछ अलग है
वो है बस दोस्ती का ख़त्म हो जाना
मैं रिश्ते को कभी भी
दुश्मनी की शक्ल में जारी नहीं रखता

-शारिक कैफ़ी