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मैं शायर कैसे बना?

इश्क़ का रंग ज्यों चढ़कर उतर गया
मेरे दिल से होकर जहन में भर गया
मेरा रोम रोम जब प्रफुल्लित हो गया
त्यों मैं शायर बन गया।।

जब राजनीति का दानव जग गया
भला मानुस डर गया
उनकी बात उठाने एक इंसान जग गया
त्यों मैं शायर बन गया।।

जब सागर की लहर बढ़ चली
बुराइयां बनकर बली
इंसानियत दबाने चली
त्यों मैं शायर बन गया।।

उस रोज़ जब सूरज थम गया
उस रोज़ जब ‘मैं’ आया और ‘हम’ गया
लोगो में फ़ैल जब गम गया
उस रोज़ मैं शायर बन गया।।

– अभिनव शुक्ला