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आओ फिर से दिया जलाएं

आओ फिर से दिया जलाएं
सूर्यास्त हुआ संध्या बीती
जग में छाई तम की भीती
समय का फिर से फेर हुआ
सूरज की किरणें फिर से जीतीं

ऐसा ही जीवन है तेरा
परिवर्तन का है यह फेरा
दुःख सुख एक दूजे के पूरक
तू चलता चल मन में रख धीरज

जीवन पथ पर चलते चलते
जब बाधाएं आकर घेरे
मन में भय की जब छाया हो
मन शंका से भर आया हो
समझो ईश्वर की माया हो

उस ईश्वर पर आस्था रख कर
मन में साहस संयम रख कर
आशा का दिया जलाएं
आओ फिर से दिया जलाएं |

– सौरभ विंचुरकर