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अभिमान

चँदा तू चमक पर ना इठला
कभी मैं भी चाँद कहाई हूँ
कोई कांटा चाहे चुभ जाए
बस फूलो से घबराई हूँ

तू देख ज़रा उन दागो को
जो तू जाने क्यू तुझे मिले
मैं छूकर सारा आसमान
बेदाग धरा पर आई हूँ

प्रतीक जैन