ख़्वाब से हक़ीक़त तक

इस कहानी में,पहले मैं थी, तुम थे..अब हैं हमतुम 6 फ़ीट के, मैं कंधे से भी कम,मैं चाय की शौक़ीन हूं तुम शेक पसंद,मैं चीज़- चीनी कम और तुम केक…

Continue Readingख़्वाब से हक़ीक़त तक

अंदाज-ए-जिंदगी

मेरे आज को मेरे कल सेमत टटोलोहाथों की लकीरों परहम कई पर्दे गिराएबैठे हैं।रोज़ बनते रोज़ बिगड़ते हैंमिट्टी में मिलकरभी नज़रों को कुंदन बनाए बैठे हैं।भले या बुरे की परवाह…

Continue Readingअंदाज-ए-जिंदगी

तुम चलना साथ मेरे

झींगुरों के स्वरों के साथ जागतेचाँद के उगने सेकलरवों की ध्वनि से मोटरों के पों पों तकतुम चलना साथ मेरे। चार चम्मच चीनी की मिठास से भरेगरमागरम चुस्की सेचीनी मुक्त…

Continue Readingतुम चलना साथ मेरे

End of content

No more pages to load