चाय और तुम

थके हारे दिन में अचानक, नज़र तुम पर पड़ गयी फिर क्या था मुझे तुम , चाहिये थी बस तुम मैं आंखे भर के देखता रहा तुमसे आती ख़ुश्बू तुम्हारी…

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हम दोनों

सारी बातें हो चुकी अब क्या करेंगे हम दोनों? हाँ,एक लंबी राह पर चल पड़ेंगे पैदल-पैदल हम दोनों और, कुछ ही क़दम चलने के बाद आ जाएगी कोई बात याद…

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ज़रूरी तो नहीं

जिसे बख़्शा हो बेहतरीन नज़रों से, उसका नज़रिया भी अच्छा हो,ज़रूरी तो नहीं जिसे मालूम हो हर मर्ज़ की शिफा, मसीहा भी बने वह,ज़रूरी तो नहीं जिसे मिली हो आवाज़…

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