प्रेम और प्रतीक्षा

"प्रेम" को कह सकते है हम प्रतीक्षायें और प्रार्थनाएं जो एक युग से शुरू होकर अंतिम युग तक जिंदा रहती है भिन्न भिन्न रूपों में ये विचरण करती है बदनामी…

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आग पल रही है अंतर में

आग पल रही है अंतर में कैसा जीवन सुखदायी है कहते सात जनम का रिश्ता इंतज़ार दुखदायी है मन पागल लेकर पंख हवा से अनंत तक उड़ जाता है l…

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ग़ज़ल

कागज़ दिल पर,इस दिल की दरकार लिखेंगे। नाम लिखेंगे अपना,तुमको प्यार लिखेंगे। तुमको पा कर,दुनियाँ पा ली है मैंने। तुमको अपने जीवन में उपहार लिखेंगे। रोज़ नये लगते हो,रोज़ जुदा…

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