इंटरव्यू

आज उसकी जिंदगी का सबसे खास पल था।अपने सपने को वो पाने जा रही थी।हमेशा की तरह शांत और गंभीर रहने वाली कुहू आज नर्वस भी थी। जैसे ही पता…

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मुक्तक

खनक के शोर में खुद का कभी सानी नहीं बेचा सुरों की चाशनी में लफ्ज़ का मानी नहीं बेचा कठिन इस दौर में जब गर्व का कारण ही बिकना हो…

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आख़िरी सेमेस्टर

आखिरी सेमेस्टर में वे समझने लगते हैं उस रोटी का मतलब जिसे पहले सेमेस्टर में बनाते बनाते दुहरा ली थी पूरी ज्यामिति आखिरी सेमेस्टर में वे समझने लगते है मुम्बई…

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