फर्क

छा जाती है बदली कभी मन की धरा पर और अगले ही पल ओझल हो जाती है बिन बरसे ही! धरा की बैचेनी तब बरसती है वेदना बनकर वहीं कहीं…

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वो लड़कियां

लड़कियों के दो घर होते हैं यह सब जानते हैं पर लड़कियां? पर लड़कियां जानती हैं घर का मर जाना जब वे कर लेती हैं प्रेम-विवाह प्रेम ईश्वर की नेमत…

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सबक

यह शहर के बाहरी इलाके में बसी कॉलोनी का चाल था। तीन तरफ से एक के बाद एक बने बारह कमरे आगे की तरफ दीवार से लगे लोहे के दरवाजे…

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