मेरे मरने के बाद
मुझे ढूंढना
मेरी कविताओं में
मुझे पहचानना
मेरे शब्दों के बीच के सन्नाटे
और चिल्लाहटों में
शब्दों के पीछे छिपे
अर्थों
और उनके बीच झांकते एहसासों के बीच
दिखेगा तुम्हें
मेरा धुंधला सा चेहरा
इन सब के बीच कभी कभी
तुम भी दिखोगे
अपनी तरह से
और तुम्हारे साथ दिखेगा तुम्हारा इतिहास
कभी कभी
कवि को
उसकी बातों
उसके शरीर में नहीं
उसके शब्दों के बीच फंसे
कहनाव में ढूँढा जाना चाहिए
मरने के बाद
कवि अक्सर बचा रह जाता है
अपने शब्दों के बीच।
