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सृजन करें

आओ मिलकर भावों का हम सृजन करें,सम्मान करें!
पदचिन्हों पर चलें अडिग बन,मन में नव उमंग-उल्लास भरें!!

समस्याओं के समंदर में,लहरें बनकर हुंकार भरें!
कागज की कश्ती बन हम,दुष्टों का संहार करें!!

ज्ञान का आश्रय पाकर,अज्ञान का हम नाश करें!
अपने मन का राजा बन हम,अयोग्यता का विनाश करें!!

अभिव्यक्ति का प्रश्रय मिले जब,अपने भावों का उत्थान करें!
सरल-सहज लेखक बन हम,जीवन के साहित्य पर अभिमान करें!!

अभिलाषा के पर्वत पर चढ़कर,सौहार्द का अनुसंधान करें!
व्यंजना शब्दों की बन हम,विचारों का सम्मान करें!!
आओ मिलकर भावों का हम सृजन करें…..

– हर्षित दीक्षित