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समय

एक क्षण में ही उसका सारा जीवन
उसके लिए एक अंधकार सा हो गया..
शैशव से इतने बरसों तक उसका जीवन
जिस दीवार पर खड़ा था..
वह आज़ अचानक गिर सा गया था…
वह क्या है? कहां है?
मानो वह कुछ भी नहीं है|
मानो उसको पीछे
कोई अतीत नाम की चीज ही नहीं रही,
और इतने दिनों से
जो उसके सामने उसका स्थिर भविष्य था,
वो आज़ एकाएक विलीन हो गया …
वो शून्य सा खड़ा एकटक निहारता रहा
अपने इस वर्तमान की दुर्दशा को…
वो देखता रहा भविष्य कैसे बदल गया पलभर में….
सारे सपने कैसे मर गया…
एक समय की विपरीत धारा में…
अब न उसका अतीत बचा और ना भविष्य..!!

– अविनीश मिश्रा