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वो जाने वाला

वो इस शहर से जाने वाला था
दूर बहुत दूर
लेकिन उसके लिए ये सिर्फ एक शहर नहीं था
उसका बचपन, उसकी जवानी,
उसका इश्क, उसकी नादानी
हर मोड़, हर नुक्कड़ पर
उसे यहां बिताए लम्हों की याद दिला रहे थे
लेकिन उसे जाना था
जाना ही था

उस गली से गलती से गुजरने की
इरादतन पाली उस आदत से दूर
खुद से की गई
हर उस बगावत से दूर
भीड़ में जख्मों को छिपाने की
वो नाकाम कोशिश उसकी
तन्हाई में कतरा कतरा रिसते
उन जख्मों को सहलाने से दूर
प्यार था शायद उसे किसी से
लेकिन कभी कह नहीं पाया
उस अनकहे इंकार का मातम
मनाने से दूर

उन इकतरफा संजोई यादों से
उन बेबुनियादी बातों से दूर
हां, उसे जाना था
जाना ही था…

-अमित कुमार गुप्ता