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मौत

फिर कल की तरह आज न हो
दाँतों से टकराते दाँत न हो
मन में भरी रुवासी न हो
होंठों तक आये आँसू न हो
रोंगटे खड़े न हो
शब्दों में रूकावट न हो
काँपते मेरे हाथ न हो
पेट में भूख न हो
बरसात न हो
तो शायद
कल फिर मेरी मौत न हो

-सविनय शुक्ला