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कन्वर्सेशन

अगर दूसरों की बातें इतनी ही याद रहती है न
तो अपने अंदर इतने गट्स भी रखा करो
कि सामने वाले का नाम बता सको 
इतना कहकर वो ऑफलाइन हो गयी

रात भर वो सोचता रहा
उसके जेहन में वो सारी बातें रह-रह के आ रही थी
जब वो हर कदम पर उसके साथ खड़ा हुआ करता था
मैसेज रिप्लाई करना चाहता था लेकिन रुक गया
खामोश रहा लेकिन बहुत सी बातें अंदर दबी रह गईं

कुछ दिनों बाद
आज फिर वो उससे बात करना चाहता था
उसने चैट खोली
अचानक ही उसकी आंखे भर आईं,
पुराने मैसेज को देखकर

उसकी आँखों से एक आंसू
उसके मोबाइल स्क्रीन पर गिरा
और अधूरा कन्वर्सेशन जो उस रोज़ पूरा नही हो पाया था
मुक्कमल हो गया |

– पंकज कसरादे