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मैं जानता हूँ!

मैं जानता हूँ

तुम्हारी इस मुस्कान के पीछे
छिपी हूई उस मायूसी को
तुम्हारी बिख़री जुल्फों के पीछे
खोई बदहवासी को…

मैं जानता हूँ!

तुम्हारी भीगी पलकों के नीचे
बहने वाले आंसुओं को
झुकी हुई आखों से भीतर
दफन कई गिले-शिकवो को

मैं जानता हूँ!

मैं जानता हूँ तुम्हें और
तुम्हारी खामोशी की वजह को
उस कोमल ह्रदय के भीतर
कांच सी चटकती बिखरन को

मैं जानता हूँ!

-एस बी राजपूत