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मेरी यादें

जानती हूँ
तुम आज भी नहीं आओगे
मेरे बुलाने पर
या मेरे टूट जाने पर
तुम जानते हो
हमेशा से बिन तुम्हारे
हम अधूरे ही रहेंगे
फिर भी तुम नहीं आओगे
यह खूब पता है मुझे
खैर कोई नहीं
तुम उस दिन बेहद याद करोगे
जब उम्र के ढ़लान पर होगेऔर
धूप में चारपाई लगाकर लेटोगे
आधी बन्द पलकों से
जब बीते पलों के
सुनहरे किस्सों में खो जाओगे
और सुनाओगे
मेरी कहानियों को
एक रानी की कहानी में गढ़ कर
फिर उस वक्त आखों में
लबालब आँसू भर जायेंगे
और मैं बेहद याद आऊँगी,
मैं बेहद याद आऊँगी..

– स्मिता तिवारी