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आज़ादी की सुबह

आज मेरे शहर में सुबह जल्दी हुई है…

हर चौक, गली सजी हुई है..
रंगोलियां डल रही है, सड़के भी रंगी हुई है…
चौराहे पर बापू के चश्में से धूल थोड़ी हट गयी है..
भगतसिंह की मूंछे भी तन गयी है…
पड़ोस के दादा जी की टोपी नयी नयी है..
जन गण मन सब हर्षित है…
फ़िज़ा में देश भक्ति घुली हुई है..

बच्चों के हाथों में बस्तें नही है…
तिरंगे वाली कमीज़ पहनी हुई है..
शहर के ऊँचे दरवाज़े पर तिरंगा लहरा रहा है…
सम्मान में जनता खड़ी हुई है..
शहीदों को नमन कर रही है..
आज़ादी की सुबह खिली हुई है..
माँ भारती मुस्कुरा रही है…
नयी उमंगें मन में उमड़ रही है…
देश प्रेम से भरी हुई है..

आज मेरे शहर में सुबह जल्दी हुई है…

– वासु चौरे