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पेड़ और परिंदे

एक बड़ा पेड़ जो अपनी टहनियों को फैलाकर
परिंदों का सहारा बना था,
बिल्कुल बेजान सा हो गया है
ऊपर से सख्त दिखता है
लेकिन अंदर से टूट सा गया है,

कुछ समय पहले की ही तो बात है
उस पेड़ पर कुछ परिंदों ने अपना घोंसला बनाया था,
जैसे जैसे वक़्त बीतता गया
पेड़ तथा परिंदों में बहुत गहरी दोस्ती भी हो गई,
आलम कुछ यूँ हुआ कि न तो परिंदों के बिना पेड़ को चैन मिलता था
और न ही पेड़ के बिना उन परिंदों को।

लेकिन इक रोज़ किसी बात पर
परिंदों की आपस में ही लड़ाई हो गई और
कुछ परिंदे उस पेड़ से उडकर कहीं दूसरी जगह
अपना ठिकाना ढूँढने लगे और
एक एक करके सारे परिंदों ने पेड़ का सहारा छोड़ दिया

बिना ये सोचे समझे की इतने वक्त तक बिताये साथ को
यूँ अचानक छोड़ जाने पर उस पेड़ पर क्या बीतेगी?

जानते हैं वो पेड़ आज भी इंतजार में है
अपने उन परिंदों के |

– पंकज कसरादे