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सूत्रधार

मानता हूँ
तुम्हारे अनुरूप नहीं
लेकिन
आदर्श मानता हूँ
प्रेरित होता हूँ तुमसे कई बार,
तुम्हारा संयम, साहस, बेबाकी
निश्चित ही जादुई हैं
और इसी कसौटी पर ही
तुमने अपने आप को
मेरे जीवन की
नायिकाओं का
सूत्रधार बना दिया है
और अब देखो
मेरी हर रचना के किसी
अंतरे में शामिल हो
और तुम्हारी
स्वर्ण आभा को
जीवन-मृत्यु के चक्र से मुक्ति के उपरांत भी
अमर करने की चाह
जो शब्दों के
माया जाल में भी न हो
और न कहीं भाषा में अंकित
बस इस ब्रह्मांड में सारगर्भित रहे..

– सौरभ चंद्र पाण्डे