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दवा

पिछले कुछ दिनों से तबीयत नासाज़ रहती है मेरी
बदन हल्की हरारत लिए हुए है
और सीने में भी धडकने कुछ तेज चल रही हैं
मैं अक्सर दवा लेना भूल जाता हूँ ;
एक तो वो कड़वी भी है दूसरा रंग भी अच्छा नही उसका
चाहकर भी उसे पीने का मन नही होता |

याद है तुम्हें,
सर्दी के मौसम में जब मुझे जुकाम हुआ था
तुमने कुछ उबाला था पानी में डालकर,
किचन में रखा हर मसाला उसमें तुमने मिला दिया था
और कंबल के अंदर आकर
अपने हाथों से तुमने वो पिलाया था

सच बताऊँ उसका टेस्ट बहुत ही गन्दा था
इस वाली कडवी दवा से भी ज्यादा गन्दा ;
पर मैं तुम्हारा दिल नही तोड़ना चाहता था
पहली बार मेरे घर के किचन में तुमने कुछ बनाया था |
इसलिए उसे चुपचाप पी गया |

आज ये जो दवा मुझे पीनी पड़ती है
उसे बहुत बड़े डॉक्टर साहब ने दिया है
पर मुझे ऐसा क्यों लगता है कि
मैं इससे ठीक नही हो पाउँगा |

मुझे तुम्हारे हाथों से उबाला हुआ वो पानी ही दे दो
बस उस दिन की तरह अपनी बाँहों में समेट कर पिलाना
मैं ठीक हो जाऊंगा |

– सुलभ सिंह