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तेरे जाने के बाद

यूँ अकेले ही दिन गुजारता हूँ
सारी सारी रात जागता हूँ
देख मुझे क्या हो गया
तेरे जाने के बाद

याद है वो ज़ख्म जिस पर गुलाबी रुमाल बाँधा था
वो डांट, जिसमें गुस्सा कम प्यार ज्यादा था
वो ज़ख्म फिर से हरा हो गया
तेरे जाने के बाद

समंदर का वो किनारा, जहाँ शामें बिताई थी
जहाँ रेत पर उँगलियों ने तस्वीरें बनाई थी
वो रेत का किला भी जाने क्यूँ ढह गया
तेरे जाने के बाद

याद है मुझे, बारिश में एक छाते के नीचे चलना
छाता उड़ जाए, तो तेरा वो दुपट्टे से सर ढंकना
बारिश बस एक मौसम बन गया
तेरे जाने के बाद

मेरी जिंदगी थे तुम
या जीने की वजह
मैं जो ये जीना भूल गया
तेरे जाने के बाद

-असीम श्रीवास्तव