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कुछ टूटेगा कुछ बिखरेगा

अक्सर कुछ ऐसे फ़लसफ़े होंगे
जब टूटोगे -तुम।
टूटना ,पर बिखरना मत
टूटोगे तो जुड़ने की गुंजाइश होगी।
जो बिखरोगे तो फिर, कैसे जुड़ोगे?

जुड़ना और टूटना, टूटना और जुड़ना
सृष्टि के ही दो नियम है,
बाकी सब हमारे पाले वहम है…..

वहम है ,अपनों का मायाजाल
सत्य है मात्र एक मृत्यु अकाल,
समय सा सबकुछ गुजरेगा
सृजन की इस प्रक्रिया में,
कुछ टूटेगा कुछ बिखरेगा…

–  इरीना बघेल