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कर्म

हिंदी पढ़ ली, इंग्लिश पढ़ ली
पढ़ी उर्दू विज्ञान
कोई भाषा नही बनाती मुझे राम रहमान

हिंदी में कुरान पढ़ी है ,इंग्लिश में रामायण
फिर भी समझ न आया मुझ को कैसा होगा पारायण

बाइबिल, जिनवाणी, गुरुग्रन्थ पढा है
रटी गीता कुरान
फिर भी जीवन सवर ना पाया जैसे कोई शमशान

मंदिर में अजान करू या मस्जिद शीश झुकाऊँ
कटु कट्टर ह्रदय जब तक मेरा आगे बढ़ न पाऊं

नौ दिन का नवरात्र रख लिया,महीने भर रमजान
सब ग्रंथों को मथ कर देखा सार है एक समान

एक प्रकृति है एक नियति है
एक है ईश्वर अल्लाह
फिर तुम काहे पकड़ धर्म को करते जग में हल्ला

इंसान बनो इंसान को चाहो,मानवता की राह को टोहो
मानव सेवा एक राह है,सज्जन सेवा धर्म चाह है
नही रखा कुछ जाती धर्म मे
जीवन सार है मात्र कर्म में , मात्र कर्म में।

– श्यामदत्त चतुर्वेदी”अंश्मी”