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एहसास

तुम्हें …
हाँ , तुम्हें
देखने का
मेरा इरादा ना था

गीले बालों में
इतनी सुंदर दिखोगी
इसका
अंदाजा ना था

तुम्हें देखते ही
दिल की धड़कन रुक गयी
सच कहूँ मेरी जान
तुम पर फ़िदा हो गयी

तुम कितनी सुंदर हो
इसका अनुमान नही
बावली नही नादान हो
इसका एहसास नही

तुम पसंद हो , हाँ पसंद हो
ये कहने से क्यों डरूँ
तुम्हारे लिए किसी से
क्यों ना लड़ूँ

खुद से बेखबर
तुझे पाने का सफर
रात का नशा और
दिन का मज़ा

सच ये नही
की मैं कहता नही
झूठ ये नही की
तुम समझती नही

हर दिन
तुझे देखता हूँ
और बस
ये कहता हूँ …

तुम
मान हो
मेरे एहसासों का
अभिमान हो |

– सत्यम सोलंकी