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मैं कौन हूं

खुद को खुद से मिला पाता
मैं कौन हूं, अगर ये तुमको बता पाता
मैं कैसे गुजरता हूं जिंदगी
आइने से बचकर
जैसा मैं हूं नहीं
तुम्हारे सामने वो बनकर
खुद को थोड़ा बेहतर बना पाता
मैं कौन हूं, अगर ये तुमको बता पाता

अपनी मुस्कान से दर्द को छिपाता हूं
कोई आंसू न देख ले मेरे इसलिए
आंखे चुराता हूं
हर अश्क मेरी दास्तान सुना जाता
मैं कौन हूं, अगर ये तुमको बता पाता

दुनिया की महफिलों से डर लगता है
कुछ दो-चार जुमलों का असर लगता है
मैं कमजर्फ नहीं हूं, ये जता पाता
मैं कौन हूं अगर, ये तुमको बता पाता

अब किसी की चाह है न इंतजार
खामोश से हैं सारे दिल के तार
काश कि तुम्हें साजे दिल सुना पाता
मैं कौन हूं, अगर ये तुमको बता पाता..

– असीम श्रीवास्तव