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ज़िंदगी का सफ़र

हिस्से भी बहुत हैं
किस्से भी बहुत हैं

इन साँसों के सफ़र की
कहानियाँ भी बहुत हैं

कभी किसी से प्रेम है
तो कभी किसी से ईर्ष्या है

कभी मन प्रसन्न है
तो कभी मन उदास है

कभी रिश्तों में मधुरता है
तो कभी रिश्तों में कटुता है

कभी सरल रास्तें है
तो कभी कठिन मंजिलें है

कभी मीठे एहसास है
तो कभी कड़वे एहसास है

कभी मन करूणा से भर जाता है
तो कभी मन कठोरता से भर जाता है

इसी तरह झूलता रहता है
जीवन और मौत के मध्य, ज़िंदगी का सफ़र ।

– सरस्वती सोनी