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कागज

तुम और थोड़ा सा कागज दे दो
अपनी जुबानी लिखने का सलीका दे दो
अल्फाज़ तुम्हारे कागज पे उतार लूँ
मुझे इस गुस्ताखी की इजाजत दे दो
तुम खूबसूरत हो ये यकीन कर लो
मेरी आँखों से उस नूर-ए-रौशनी को देख लो

तुम्हारे चेहरे की मासूमियत आज भी मासूम है
तुम भरोसा ना करो ना सही मुझे चेहरा उकेर लेने दो
चाहता हूँ कुछ लिख दूँ या कुछ कागज पर उकेर दूँ
पर बात तुम्हारी है कुछ अच्छा लिखना है
जो हूबहू तुम जैसा हो

तुम बहुत प्यारी हो और सच कहूँ
तुम अपने जैसी ही हो
कोई नकल कोई असल सी नहीं हो
तुम हूबहू खुद जैसी ही हो
चुलबुली प्यारी सी, थोड़ी नखरेल थोड़ी गलफुलु सी
अपनों के लिए जीती हो
दर्द छुपा नहीं पाती फिर भी सहेजती हो
मुझे और भी बहुत कुछ सूझता है अभी लिखने दो

बहुत कुछ सँवारना है और कुछ सजाना भी है
तुम जैसा तुम्हारे आस पास जो तुम्हारे जैसा हो
लफ्ज भारी ना हों हल्के फुल्के हों तुम्हारी मुस्कान जैसे
आँसू भी दबाने होंगे जिनको सहेजना तुम्हें बखूबी आता है
कागज गीले ना हों सब साफ रहे
जैसा तुम मुझे देती हो सफेद रुमाल
मेरी हर पसंद जानती हो पर जताती नहीं हो
वक्त पर काम बना देती हो तुम बस तुम जैसी ही हो

-सचिन बिल्लोरे